सत री जोत जगावै आखर
मन रा जाळ हटावै आखर
सूखे बंजर खेत मांयने
हरिया रूंख लगावै आखर
तपती बळती बाळू माथै
सीळी छांव लखावै आखर
थारी म्हारी राड हुवै जद
कविता बण,मनावै आखर
सोय रिया ज्यो नींदड़ली में
बांने झाल जगावै आखर।