मेदनी-सी मुळकती-दुळकती
सुरजिया का तीखा ताप सूं तपती
लूआं का लबड़धक्कां सूं झुळसती
सगळा जीव-मिनखां को
बोझ आपका कसूमळ पण करड़ा-करड़ा
कंधा पर ढोहती
म्हैं साक्षात मेदनी आज की नार
परकरती की होणी-अणहोणी
अर रीत का रायता नैं
थक्यां बिना, रूक्यां बिना
अणूता-अणबीत्या निभाती
म्हैं साक्षात मेदनी आज की नार
कोख का जाया अर पराया
सुण्या-अणसुणया दीठ-अदीठ सूं परै
'अभिमन्यु' सा चक्रव्यूहां नै हर रोज काटती
म्हैं आज की नार
अकाळ-सुकाळ बिरखा-बादळ
ओळा-तूफान-बीजळी
हर झंझावातां तूं लडती-भिडती-पछाड़ी जाती
पण फेर-फेर चौगुणा उबाळ सूं उठती
म्हैं आज की नार
सक्षात करमा, पदमणी, हाड़ी न बणी
पण साक्षात मेदनी सी मुळकती-ढळकती
म्हैं आज की नार|