आखी दुनिया चावै

आज-काल

रोजीना-नित नुंवा गुण

एक’र तो—कयां-जयां

कांटो काढ़ दे-काम सार दे

पण-जद आपरी

बाड़ै को बड़ै नीं

तो—बांदी

कींरा घोड़ा बक्सदे?

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : रूपसिंह राठौड़ ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन