म्हूं लईने बैही बैहुं होळ-बळद

रोप्पाड़ौ गैड़वा

तूं आवै लईने

मक्की ना बै टिक्कड़

नै मरच नी चटणी

खाकरा नुं पानूं जगां माथै पाथरीनै

अेक बगौ तारौ नै अेक बगौ म्हारौ।

आणं रुपियं-पइसं नी भागा-दौड़ थकी

कई’क छेंटी

हइया ना सुख सारु

अेक पोग भर हं

क्यारे’क तौ आव है’स् अैवो अेक दन

पूरो थाये जै अेक संहाड़ौ

तारै मूंडा ना फूल नी वास

म्हारै आंखं थकी उतरै है

तौ हइया नो तंबूड़ौ

तन-तना-तन करी पड़ है

क्यारे’क तौ आव है’स्

अैवौ अेक दाड़ौ।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : हर्षिल पाटीदार ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : अपरंच प्रकाशन