हे शंकर भगवान रा प्यारा बळद राज!

म्हैं थारै आगै बैठूं कै लारै?

बोल्यो बळद- ‘जे हीमत व्है

जद तो मगरां पर बैठ,

नहीं’स कठै बैठज्या!

आगे सींग है अर लारै लात!!

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : भंवरसिंह सामौर
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