रूँखड़ा कापी-कापी नै 
मनख 
आपणा 
घोर भरीरया हैं 
मने लागै है 
आ लोग खुद नुं 
जीवत बारीयु 
करीरया हैं। 
 
                
                    
                        स्रोत
                            
                                    - 
                                        पोथी : वागड़ अंचल री राजस्थानी कवितावां
                                            ,
                                    
- 
                                        सिरजक : भागवत कुन्दन
                                            ,
                                    
- 
                                        संपादक : ज्योतिपुंज
                                            ,
                                    
- 
                                        प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादनी बीकानेर
                                            ,
                                    
- संस्करण : प्रथम संस्करण