मिनख री जिंदगाणी

एक लांठौ मरुथळ

अर

मिनखपणौ—

फगत पांणी रौ टोपौ

आंख्यां उठयोड़ी,

आसावां बणियोड़ी!

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : ओम प्रकास थानवी ,
  • संपादक : तेजसिंघ जोधा
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