बैठ बात करां

अेक-दूजै नै देखां

कित्ता बरस बीतग्या

सागै रैवंतै थकां,

कित्ता नेड़ै-नेड़ै रैया आपां

पण देख नीं सक्या अेक-दूजै नै

झूठ नीं बोलूं

म्हैं तो नीं दैख सक्यौ

थारी थूं जाणै

बरत्यौ अवस है

थारौ रूं-रूं

पण देख नीं सक्यौ

ठोडी रौ तिल जकै रौ रंग

म्हारी अणदेखी रै अंधारै रळग्यौ

माफ करज्यौ

औसाण नीं मिल्यौ

अै दांत कद टूटग्या थारा!

अर अै धोळा बाळ?

बैठ, गौर सूं देखूं थनै

कदे भाजौ-भाज में

जिनगाणी भाज नीं जावैI

बैठ बात करां (2)

बैठ बात करां

जठै-जठै

खाली रैया

बठै-बठै

भरां

काळ री

कूख में बैठ

सोनलियौ जीवण

जीयां

आभै में

उडारी भर

बादळ रौ पाणी

पीयां

पतझड़ री

छाती पर

पग धर पूगां

बसंत रै घरां

बैठ

बात करां

प्रीत रा

गीत गावां

जीत रा

गीत गावां

काळ कमजोर है

आपणै सूं

आ!

दोनूं मिळ’र

डरावां

अर जे मरां

तो मौत नै

लेय’र मरां

बैठ

बात करांI

बैठ बात करां (3)

बैठ बात करां

अेक-दूजै रौ

पसीनौ पूंछ

ठंडै बायरियै रौ

परस भोगां

नेतरै रौ

अेक सिरौ

पकड़ बावळी!

समंदर बिलोवां

पैलां जै’र

पछै इमरत

पीयां

किणी शिवजी रा

पग क्यूं पकड़ां

जीयां तो

खुद रै बूतै

जीयां

फूल तोड़ां

अर कांटां सूं डरां?

बैठ

बात करांI

बैठ बात करां (4)

बैठ बात करां

लेण देण रौ हिसाब काढां

स्यात भोत कीं

मांगै थूं म्हारै में

जद-जद म्हैं टूट्यौ

संबल रौ सांधौ लगायौ

जद-जद म्हैं डिग्यौ

थूं थारौ खांदौ लगायौ

जद-जद

खाली हाथ

बा वड़्यौ म्हैं घरां

हांस’र जेब में

हाथ मारयौ

थूं म्हारी

देख्यौ तो कविता लाधी

रिपियां सूं घणौं मां दियौ

थूं म्हारी कविता नै

ठंडै चूल्है रै चौकै

गुमेज साथै बांचती रैयी थूं

म्हारी कविता बीच टाबरां

बैठ बात करां!

(5)

बैठ बात करां

बैठ बात करां

घणै दिनां सूं सोचूं

कै सांच उगळूं

दुनियां नै बतावूं

कै म्हैं थारौ

सोसण करयौ है

थां री ऊर्जा

सुरसत रौ

भण्डार भरयौ है

थूं खपती रैयी घर धंधै

म्हैं चोरतौ रैयौ

थारौ औसाण

स्रोत
  • पोथी : आ बैठ बात करां ,
  • सिरजक : रामस्वरूप किसान ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : pratham