आन्धा बांटै सेरणी अर घर-घर रा इज खावै खावै। हाल जमानै री आ इज रीत अर आ इज नीत। काशी नै जमानै री आ रीत घणी अबखी लागै पण जोर कोनी। जीं मिनख नै कीं ही दरकार होवै अर बो कागलै जिस्यो चातर नीं होवै तो फिरो हाथ रगड़तो, फोतरियो इज नीं मिलै। होसियार अर चतर तो पैलां-पैलां ई आपरो कोटो पूरो कर लेवै। राम भरोसै बैठणियै रै पल्लै रैवै उंडा-उंडा सांस मारण अर बेबसी मांय निसासो होय’र थूक गिटणो। ओ थूक गिटणो इज काशी रै कण्ठा नी ढळ्यो। बण दिमाग लगायो
थ्यावस साथै सोच्यो। धिरायो नीं। हिम्मत राखी। हिम्मत रो बेली राम। पंचायत रो सीधो जुड़ाव राज सूं। राज भान्त-भान्त री स्कीमां बणावै। स्कीमां रै मारफत जणै-जणै नै फायदो पहुंचावै। फायदो कांई भांत रो होसी, अर किण-किण नै मिलसी ओ ठा सै सूं पैली सिरेपंच सा नै लागै। सिरेपंचसा रै खुरच्यां पछै पंचा नै। राज रै सारै लागण रो गेलो सूझग्यो।
बो गाल बजावण लागग्यो। भुसतो कुत्तो खावै या नीं पण मार्ग चालतां रो ध्यान तो बन्टा इज लेवै। राम भरोसै बैठणियां बीं रो भुसणो सुहायो अर लारै होवण लागग्या। राज री पैली पैड़ी माथै पग रोपण री तेवड़ली। आपरो ओ स्वार्थ साधण सारू लारलै साल चुनाव लड़यो अर वार्ड पंच बण’र सुपनो सांचो कर लियो।
अबार काशी वार्ड-पंच हो। जुम्मेवारी इज बधगी। कदै वार्ड री चौकीदारी करणी पड़ै तो कदै चपड़ास इज निभावणी पड़ै। खारो खावणियै रै कदै-कदास मीठो इज पल्लै पड़ जावै इणी आस मांय वार्ड रै लोगां री घर-घर जाय’र दुख-तकलीफां पूछै तो कदै सिरेपंचसा रा सन्देशा इज वार्ड रै लोगां तांई पूगता करै। वार्ड मांय काशी चावो बणग्यो।
आज पंचायत घर मांय मीटिंग। सिरेपंच सा सगळा पचां ने भेळा कर’र काम भोळायो। आप-आप रै वार्ड सूं एक-एक मोट्यार रो नांव छांटणो है जको होसियार अरे चातर तो होवै इज साथै-साथ पराई पीड़ मांय पड़न वाळो अर स्याणो इज होवै।
सिरेपंचसा रै कह्यै मुजब काम करणो अर वार्ड रै लोगां रो भलो करणो पंच रो फर्ज बणै हो सो करणो इज हो। आथण रोटी खाय’र बाखळ मांय मांचो ढांळ्यो अर आडो होय’र सिरेपंच सा रै काम जुटग्यो।
वार्ड मांय सगळा पच्चीस-तीस घर। काशी माचली माथै पड़्यो-पड़्यो इज घर-घर घूमण लाग्यो। हर घर मांय दो सूं लेय’र पांच तांणी मोट्यार। पण घणकरा दळियै रा बैरी। घर खेत रो खोरसो करणो अर पेट भरणो। हांकण वाळो चाइजै। बगत हांकै चावै मिनख। मोड़ै बठीनै मुड़ज्या।
छंटणी रै बगत साठ जणा मांय सूं गिणती आंगळियां माथै आयगी। अबार सातां मांय सूं अेक जणो छांटणो। ओ इज घणो अबखो काम। पण रास्तै मांय कुण पगाणै बैठै अर पंच कैवै।
सारी झ्यान संणक-संणक सूती ही। सोवै तो सरी ही सोपो हो रैयो हो। सगळै दिन बापड़ा रोही मांय हाड़-तोड़ मिणत करै। माचा माथै आडा होंवतां इज बात बतळांवण बिचाळै इज रह जावै अर मलोमल नींद आ घेरै अर दिनूगै तांई पसवाड़ो इज नीं फोरै। औरां रो कांई जिकर खुद काशी इज नींद मांय काचो। पण अबार बो छंटणी मांय जुट रैयो हो।
सात जणां मांय सूं दो जणां बीं रो चुनाव मांय विरोध कर्यो हो अर एक जणै दगो। बां नै बूर’र ओढै लगाया तो सांम्है कुशळियो आय उभो होयो। चातर अर घणो स्याणो कन्नै कीं सुवांज इज पण खुदगरजी। आपरो मतलब काढण री इज चतराई। इन्नै सांम्है लावणो ठीक नीं। आंटै मांय इज आछो रैसी, नीं तो फोड़ा घाल सकै है।
दीपड़ो...? हां दीपड़ो इज ठीक रैसी। बोलण-चालण मांय छोरो ठीक है। रीसाळू इज नीं है। बूढा-बडेरा री इज्जत सार जाणै है। घर्यै पधार्यां री इज्जत इज डोळ सारू करै है पण भण्यो नीं है।
भण्यो तो राजियो है। दीपड़ै सूं ठीक रैसी दीपड़ै वाळा सै गुण है। पण धमंडी बळै है। अपणै आप नै इज सौ कीं समझै है। इत्तो गुमेज? सगळा गुणां नै गुमेज ढक लेवै।
टोनियो..? हां! टोनियो ठीक रैसी।
आपरो-परायो इज नीं देखै है। अड़ी ओड़ी मांय सांगोपांग आडो आवै है। घमण्ड नांव री चीज नीं। बोलण-बतळावण री इज लायकी है पण बेकार है। कार करण री नीत कोनी। गुंजै सूं हाथ खाली निसरै है। कंगाली तो सो क्यांनै ले डूबै है। आ उळटै मांयनै सूं कर्योड़ै सगळा परमारथां नै ले बैठै है।
आंगळियां माथै आया नामां मांय सूं काशी री कसौटी माथै कोई खरो नीं उतर्यो। अै इज खोटा तो खरा कठै सूं ढूंढै? काशी ओजूं वार्ड रा सगळा घर फिरोळ्या। छाणस नै कित्ती ही बारी छाणल्यो आटो होवै तो छाणस क्यूं कुहावै? काशी सागी इज मोट्यारां नै नूंवै सिरै सूं बांचण लाग्यो। सगळां सूं इक्कीस टोनियों इज लाग्यो। धनहीणो तो है पण पेट पापी तो नीं है। बगत साध नीं देवै तो ई रो मतलब ओ थोड़ो इज होवै कै मिनख इज बीं सूं मुंडो फेर लेवै अर जे फेर इज लेवै तो कठैरो मिनख? हूं पंच बण्यो हूं वार्ड रै लोगां री भलाई खातर, बां रो हक बां तांई पुगावण खातर। ई छोरै रो नांव सिरेपंच सांम्ही राखणो चोखो रैसी। कठैई ओळमै रो डर नीं है साथै इण रो भलो होसी। मौको देवणो चाइजै, हो सकै है राज रो कठैई सारो लाग जावै बापड़ै नै...।
अै! राज रो सारो? लारली सोच्योड़ी सै धूड़। नींद उडगी। राज रै सारै खातर इज पंच बण्या हा। हाथ आयोड़ो शिकार औरों नै देवणो ठीक नीं है। पैलां खुद रो पेट भरण खातर इज तो चुनाव लड़ीज्या हा। लोगां री पगचम्पी करणी सोरो काम नीं होवै। खुद रो भरीज्यां पछै बच्योड़ी
बांटणी इज नीति है। अन्त जाग्यो। इण नीति माथै चालण सूं भेड़ां-भेळी भेड़। कुण गिणेलो? हूं कैयो-कुण जाणै है? साथै इज खुद रै छोरै रो उणियारो आख्यां सांम्ही आयग्यो।
गुण नीं तो ओगुण नीं है। एक आधो है इज तो धिक ज्यासी। अर पछै कुणसो गुणां नै मापण रो ठोस पैमानो होवै है जिण सूं सही-सही माप हो जासी? खुद आगै आया हो तो आप वाळै नै आगै लावणो ई चाइजै। झ्यान मांय एकलव्य तो घणा इज है, अरजन तो बणाया बणै है। पछै सै ऐब आपो-आप लुक जावै। आपवाळै छोरै रो नांव हियै ढुकग्यो। आपवाळै छोरै सांम्ही सै बावना लागण लागग्या।
कांई ठा राज कांई सारो देवणो चावै है। सिरपंच सा साव बता देंवता तो दोगा चिंती नीं रेंवती पण चलो अबार सिरेपंच सा नै इज देखस्यां। पैलां गौर-गार कर’र स्कीम रो ठा करस्यां। ठा लाग्यो तो ठीक अर नीं लाग्यो तो इज ठीक। चित इज आपणी अर पुट इज आपणी। नतीजो होग्यो। राज री स्कीमां नै खुद रै स्वारथ साथै ताळमेळ बिठावण रा सुपना देखते-देखते नै नींद आ दबोच्यो।
जिकै बादळ री छाया काशी माथै ही। बा इज छाया अबार सिरेपंच सा माथै आयगी। पंचायत मांय सै आठ वार्ड। आठूं वार्डां रा चुन्योड़ै मोट्यारां रा नांव अबार सिरेपंच सा रै सांम्ही हा। छः वार्ड पंचां आप-आप रै छोरा रा नाम इज सुझाया हा। देख’र सिरेपंच सा मुंह मचकोड़्यो। ‘सगळां नै आप-आप वाळा इज आछा लागै है। खुदगरजी साळा।’ सिरेपंच सा अेकला ही बरड़ाया गांव मांय और इज मिनख है छोरा है। छवूं छोरा रै नांव आगै काटो मार दियो। एक वार्ड पंच रै छोरो हो इज नीं, छोरियां ही इण मजबूरी मांय पड़ोसी रै छोरे रो नांव देवणो पड़्यो। एक पंच रै हाल टाबर नीं हो इण खातर पड़ोसी रै छोरै रो नांव काढणो पड़्यो।
सिरेपंच सा नै इज गांव मांय सूं तीन मोट्यार रा नांव बी. डी. ओ. साहब नै भेजणा हा। सिरेपंच सा लाम्बी चौड़ी दोगाचिन्ती मांय नीं पड़्या। बै इण खेल मांय माजिज्योड़ा हा, जणा ही तो सिरेपंच सा कुहावन्ता हा। बां हाथो-हाथ तीन नांव छांट लिया अर तीनू छोरां रै भायलां नै इण री इत्तला कर’र एहसान जमावणो नीं भूल्यो।
‘भाई सांवता! थारलै बडगर रो नांव बी.डी.ओ. सांम्ही राख्यो है। बैठ्यो नीं दीखै तो खड़्यो कांई कांई घणो दिखै हो। लारलै चुनाव मांय बोट बटोरण सारू थारी कर्योड़ी पगदौड़ी काम आयगी। रळायां हाथ धुपै है म्हारो फरज हूं पूरो कर दियो।’ सांवतो फूल’र ढोल होयग्यो। भविस खातर इज पक्को बंधेल होयग्यो।
सूणै चौधरी री गांव मांय खासी चल-बल। घणकरा मिनख बीं री मानै बो कैय देवै बा इज इक्कीस। चावै बो हारै अर चावै बो जीतै। बों कीं री इज नीं मानै। आप मत्ते रो है भळै इज ताळवै गुड़ चिप्योड़ो होसी तो...? बिना कोई पाळ बांध्यां होळै सी कैय दियो ‘थारलै लाडेसर रो नांव बी.डी.ओ. साहब रै सांम्है परोस्यो है।’
तीसरै छोरै रो नांव कोटे मांय सूं लेवणो अर काशी वाळै छोरै रो नांव धिंगाणै आयग्यो नीं तो काशी मतबलियो यार। बिना पिन्दै रो लोटो। कोई भोर लेवो।
बी.डी.ओ. साहब री बेगार कर’र काशी रो छोरो अपूठो बावड़’र अरड़ायो ‘गांव में काम करता जणां मजूरी तो मिलती ही साथै होकै पीय’र सावळ हो जांवतो। बठै सो क्यां रो संकड़ेलो, पल्लै सूं भाड़ो न्यारो भर्यो।”
काशी छोरै रै घावां माथै मल्हम लगावै हो। “बावळा अणेसो ना कर। तूं ओजूं बडै लोगां री रीत नीं जाणै है। सांम्ही रैयां इज अपणायत बणै है। आ बेगार नीं मुंहाणफूरी है बावळा! इण बातां नै तूं कांई जाणै?” छोरै रै पल्लै की इज नीं पड़ी। बो काशी रो मुंह तकावण लाग्यो। आ देख’र काशी कार खुलासा कर’र बतावणो चोखो समझ्यो।
“आगै सारू राज कानी सूं कोई फायदो होवण वाळो होसी तो बी.डी.ओ. साहब री निजरां मांय सैसूं पैली तूं इज आसी। जै नाळी सूख इज जावै तो कांई होयो? मुंहाण तो संमदर कानी इज रैसी। मेह अर बाढ आयां पाणी तो संमदर मांय आसी नी।”
छोरै रै चेहरै माथै नेहचो बापरग्यो।