दिनूगै री खबरां पर खासा दारमदार हो, पण समझोतै री बारता टूटणै सूं सोमपाल रै मूंडै पर उदासी री काळस उतर आई। एक मीनै सूं हड़ताल चालै ही, तीन बारता होली, चौथी पर पूरी उम्मीद ही, पण पार नीं पड़ी, राज झुकै अर कर्मचारी नेता। हडताल दूजै मींनै में सरक चाली। अबै... सोमपाल अफसोस में पूरो डूबग्यो, एडी सूं लेय’र चोटी तांई। मनोबल ऊंचो राखणो चाईजै, बात तो बो खुद आपरै भासणां में कैवै है। रोज मंच पर लाम्बी ‘स्पीच’ देवै, लोग ताळी बजावै। पण मनोबल री भी तो हद होवै है। कदै सरकार नौकरी सू... पण फेर अपणै देस रो इतिहास आपरै मन में दुहरायो। गांधी, नेहरू, सरदार भगतसिंह, सुभास बोस, सन बींयाळीस रो आन्दोलन तो बींरी आंख्यां रै सामनै हुयो हो। उण फेर आपरै मन रै घोड़ै री रास साम्ही। घोड़ै ओजूं कान री कनौती खड़ी करली। गोडां में ओजूं ज्यान बापरगी। सामैं खड़ी कुंती री उदासी नैं ललकारी— ‘फिकर मत कर, सरकार झुकैली, झख मार’र झुकैली।’

—फिकर कीं बात री है, तो लड़ाई है, लड़णी पड़सी—आ कह, सोमपाल कीं हौसलै सूं बोल्यो—मिनख नैं घर री लुगाई री मोटी ठाड रैवै। वे एक दूजै नैं सम्भाळता रैवै। फेर जे मन कीं माड़ो हुवै तो चटकै सी इतिहास रा पन्ना उलटल्यो, फट गिरतो मन उठ ज्यावै। ईं वास्तै इतिहास री पढ़ाई सार्थक है। राम, किसन, गांधी, बुद्ध जिसा मिनखां री जिन्दगी प्रेरणा रो स्रोत है।

सोमपाल कुंती रै कांधै पर हाथ धर्‌यो—हूं चालू हूं, तूं रोटी बणा’र त्यार राखी, मनै पैली मीटिंग में भासण देणो है, फेर रोटी खाणै रै बाद संघर्स समिति में जावणो है।

कुंती डरती सी बोली—आटो तो रात निमड़ग्यो हो।

—अच्छा, फेर सोमपाल सोच में पड़ग्यो।

राज पर दो तनखा चढ़गी। राज सागै तनखा रो तो झगड़ो है। राज तो अड़र्‌यो है—काम नीं तो दाम नीं। दो मींना एक नौकर नैं दाम नीं मिलै-काम कियां चालै, बाणियां री उधार बधगी, उधार पीसा ले धाप्या, अबै...

सोमपाल मन में सोच्यो—देखो, गांव रा लोग भी तो है बिचारा, साल, दो साल काळ पड़ज्या है, फेर भी वै दिन तोड़ै है। अठै दो मींनां में टांय-टांय फिस। वींनैं सरकार पर भोत झाळ आई। लेरै सी जिकां ‘गरीबी हटाओ’ रो नारो लगायो हो, वै गरीब नैं मारण त्यार होर्‌या है, पण जोर नीं चालै। रीस में वींरो डील तण्यो, वींनै इसो लाग्यो जाणै वींरी कमजोर काया में ओजूं जोस आग्यो।

कुंती आपरी गांठी सूं एक रिपियो ल्या’र दियो—आप म्हानैं आटो देय’र फेर आगै जाईयो।

सोमपाल रिपियो झाल लियो। आंख्या रै आगै कीं अंधेरो सो आग्यो, पण फेर सम्भळग्यो। कीं सरीर में कमजोरी आई दीखै। कमजोरी तो आवै ई। आच्छी तरियां रोटी कोनी भावै। जी में धुकधुकी लागी रेवै। सरकार सागै लड़ाई है। कोई खेल तमासो तो कोनी। आग सागै खेलां हां। रोटी-पाणी टेम सिर मिलै नीं। दूध तो एक मीनै सूं बन्द होर्‌यो है। दूध आळै नैं पीसा देईज्या नीं। तो आछी बात है के तीन टाबरिया है, जिकां रै चौदा टाबर है, वांरी कांईं गत होसी। काल एक आदमी भासण दियो—भाइयो, फिकर मत करज्यो। थे तो दो-च्यार टाबरां रा बाप हुओला, म्हारै पूरा चौदा टाबर है। हूं भी तो हड़ताल पर हूं, राज रै भुलावै में मत आईज्यो, संगठन नैं मजबूत राखो, सरकार झख मार’र झुकैली।

—आछो, कह’र सोमपाल आगी नैं चाल पड़्यो।

बारै निसरतां सर्मा मिलग्यो।

—बोल, सर्मा कांईं हाल है?

—खबर तो माड़ी आई।

—आ तो पैली दीखै ही कै सरकार भोत कमीण है।

फेर दोनां मिल’र सरकार नैं मोकळी गाळ काढी।

—पण यार, तूं एक बात सुणी’क नीं, सर्मा कैयो।

—कांई?

—जिका आदमी आज दफ्तरां रै आगै ‘पिकेटिंग’ करै हा, सगळां नैं अबार पकड़ लिया।

—अच्छा, कारण?

—कारण तूं समझै कोनी, राज रो विचार है कै जिका लोग जाणी चावै है वां नैं आपां रोकां हां।

—राज रै बाप रो सिर, सोमपाल गुस्सै में बोल्यो, जावै कुण है, जावता तो इत्ती तकड़ी हुड़ताल हो सकै हो?

—मीटिंग सरू होवण आळी है, बेगा चालां, सर्मा जोर दियो।

—पैल यार, रिपियै रो आटो तो घरे दे आाऊं, रोटी क्यांरी बणासी।

—चालो।

सर्मा अर सोमपाल दोनूं चक्की कानी चाल पड़्या। बीच में कई भायला और मिल्या। ‘पिकेटिंग’ री बातां करी, हड़ताल री सफळता री खुसी मनाई अर बारता री असफळता पर रीस करी।

दोनूं सड़क पर उतर्‌या हा। बाणिया कड्यां मजाक करी। कइयां राज नैं झूठी-साची गाळ भी काढी। कइयां हड़ताल री जाणकारी ली। सोमपाल आं दिनां चोखो जाण्यो-मान्यो आदमी बणग्यो हो, क्यूंकै वींरी ‘स्पीच’ ज्यूं-त्यूं सराणजोग होवती।

इत्तै में पुलिस आळां रो ट्रक आग्यो। दोनूं उफण’र बोल्या—‘बगै है साळा कमीण, राज रा गुलाम, कुत्ता, डंडां नैं मारै परनै फैंक’र, आंरै कै पेट कोनी, तनखा तो आंरी भी बढैली।

ट्रक कनैं आय’र ठैरग्यो।

दोनूं एक कानी थम’र ट्रक कानी जोवण लागग्या।

ट्रक में एक थाणैदार हो अर कई सिपाही हा। थाणैदार कनैं डंडो अर सिपायां कनैं बांस री लाठ्यां।

सोमपाल अर सर्मा फेर आगीनैं सरकरण लाग्या, पण थाणैदार फट सोमपाल रो हाथ पकड़्यो—‘आप पर वारंट है, सोमपालजी’।

—हैं, सोमपाल रै मूंडै सूं इत्तो निरुळ्यो

सोमपाल नैं पतो नीं लाग्यो कै वो कद ट्रक में बैठ्यो अर कद ट्रक चाल पड़्यो। वो चावै हो कै एक’र वो जोर सूं ‘कर्मचारी जिन्दाबाद’ रो नारा लगावै, पण वीं एकलै रै मूंडै सूं कीं कोनी निकल्‌यो। सामैं च्यार सिपाई बैठ्या हा, मूंडो बांध्येड़ा सा। दुबळा-पतला, पिचकेड़ा-सा। हाथां में वांरै लाठ्यां ही। ट्रक चालै हो ज्यूं ज्यूं वै सगळा हालै हा जाणै सांस घालेड़ा कोथळिया हुवै।

ट्रक पुलिस लाइन में रुक्यो जद बींरो कीं जी टिक्यो। बठै पचास नेड़ा गिरफ्तार कर्मचारी भेळा होर्‌या हा। ‘कर्मचारी जिन्दाबाद’ रा नारा लाग्या, बींरो अळसायो मन हरखायो।

सोमपाल सगळां रै भेळै नीम रै नीचै बैठ्यो। आपस में बैठ’र आप-आप री बात करण लागग्या।

थोड़ी देर पाछै पन्द्रा-बीस आदमी और भेळा होग्या।

पुलिस आळा सिपाई, हवलदार, मुंसी, थाणैदार लाइन पुलिस में इन्नैं-बिन्नैं घूमै हा। सगळां रै मूंडै पर ताळो सो लागरयो हो। चहरै पर कोई हलचल कोनी ही जाणै काम आंरै रोजमर्रा रो हुवै।

बारा बजे रो बखत हो। कड़कड़ाती धूप काळजो काढै ही। सोमपाल रै पेट में भूख चूंटण लागगी तो बीनैं याद आयो कै वो एक रिपियो आटै वास्तै ल्यायो हो अर वो आटो नीं पूंचा सक्यो। टाबरिया रोटी नैं अडीकता होसी। बींरै हिवड़ै में एक पीड़ा-सी उठी। आंख्यां सूं टपकती पुण जी जमा’र रोकली। उरण मांय मांय संकट नैं बलिदान री संज्ञा दे दी।

बातां में फेर इसो बिलम्यो कै भूख तिलमिला’र रैगी। थोड़ी देर पाछै सगळां रोटी री मांग करी।

पण पुलिस आळां नैं बात सुनन री बेल कोनी ही। फेर सगळां सोची कै थाणैदार रो घेराव करल्यो। पण वां घेराव री जगां कोरी बात करी। थाणैदार एक जबाब दियो—‘ओजूं हूं भूखो फिरूं हूं।

सगळा नीम रै नीचै बैठ्या। सोच्यो, थोड़ो-थोड़ो पाणी पील्यां। पण सत्तर आदम्यां खातर पाणी कठै हो!

भूख अर तिस सूं बिलबिलाता बांनैं तीन बजग्या, जद वै मिल’र रोळो मचायो—म्हारो कीं इन्तजाम तो करो।

पुलिस आळां रा दो ट्रक आग्या। सगळां नै बैठाया, अर ट्रक चाल पड़्यो जद वै समझ्या के साळा कठैई लेज्या’र छोडैला।

कई मील ट्रक जाय’र रुक्या अर सगळां नैं उतरणै रो कैयो। सगळा भेळा बोल्या—अरै भाई, कठैई कन्नैं, सड़क रै सारै छोडियो, नीं मार्‌या जास्यां। जद हवलदार आपरै मूंडै री सील तोड़ी—हां जी, सड़क पर है। अठै थांनैं कई बस मिल ज्यासी। म्हे तो इत्तो फायदो दे सकां हां। हुकम तो म्हानैं भोत करड़ा हा।

हड़ताली हाथ जोड़’र आभार प्रकट कर्‌यो।

पूरी पांच बजे सोमपाल घरे आयो तो टाबर भूखा पाणी पीय’र सोग्या हा, अर लुगाई टुकर-टुकर किंवाड़ां कानी जोवै ही।

—चलो, तो गया, लुगाई मुळक’र बोली। बींरी भूख री पीड़ बींरै आणै सूं हरख में, बंदळगी।

—ओ चोखो रैयो कै तूं रिपियो दियो हो। वीं रिपियै सूं तो गयो। नीं तो जाणै कांईं बीतती। रोटी...?, उण पछ्यो।

—रोटी तो आथण कै भेळी खा लेस्यां।

—तो अबार चाय बणाले, दूध तो होसी।

—वो ल्यायां सरसी।

—तो पाणी प्यादे, तिस लागरी है।

कमरै में सामैं इन्दिराजी री फोटू टंगरी ही, सोमपाल पाणी रो गिलास पीय’र वीं कानी इकलंग टुकर-टुकर देखण लागर्‌यो हो।

स्रोत
  • पोथी : आज रा कहाणीकार ,
  • सिरजक : करणीदान बारहठ ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थान भासा प्रचार सभा ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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