घोड़ा पर बैठ’र घूमण नै जावतां रस्ता में एक जाग्यां हीरा-जवारातां सूं जड़योड़ो एक मण्डप देख्यो। देखण’ री इच्छा हुई अर ओ असवार उठे ऊभग्यो। थोड़ी देर बाद उठे आछी वर्दी पेर्योड़ा अर सस्त्रां सूं सजियोड़ा सिपाही आया अर ई मण्डप री प्रदक्षणा कर’र आपरी बोली में कंईक केवता-केवता पाछा चल्या गया। ई तरां धोळा कपड़ा पेरयोड़ा बूढ़ा मिनखां रो एक टोळो आयो अर वो भी ब्यां की नांई प्रदक्षणा कर’र कांईक गुणमुण गुणमुण करतो पाछो गयो। बाद में आछा भण्या गुण्या पिंडतां री एक मण्डली आई, बा भी ईतरां कर’र चली गई। पछे आछी रूपाळी लुगायां सोना रा थाळ में माणक मोती भर’र लाई अर बै भी ई तरांईज करती करती पाछी गई। यां सारां के बाद बठै राजा अर राणी आया। वे थोड़ी देर ई मंडप में ठेर्या अर बारै आय’र चल्या गया।
आ रचना देख’र असवार चकचूंधो हुय’र बोलियो। ओ देशदिवाण रो साथी हो, जाय’र बीनें आ सारी बात कही। ई बात रो सारो भेद असरवार बींनै बतायो के मिनख रो शरीर-बळ, आयु-बळ, विद्या-बळ, रूप-बळ, वैभव-बळ, तथा मोह-बळ अे सारा ईश्वर री लीला रै आगे निजोरा है। ई राजा रै एक जवान लड़को हो जो चालतो रैयो। फौज-फांटो, पिंडताई, रूप तथा वैभव (मालमत्ता) अर अपणायत रो मोह बींने मौत सूं नहीं बचाय सकिया। अे सब अठै का अठै रैह गया अर बो प्राणी चल्यो गयो। आज बीं रै बिछुड़न रो दिन है ईं वास्ते अे सारा बीं री याद ताजी राखण नै आया हा। बे धीमे केवता हा के म्है, बेबस कमजोर हां। कई भी कर नहीं सकिया अर तूं म्हां का मांय सूं खोसीजग्यो। भेद बतावणो कांई हो, असवार का अन्तर (हिरदा) में चानणो हुयग्यो। अर ओ हीरा-जवारातां रो बोपारी संसार सूं विरक्त हुग्यो अर प्रतिज्ञा करी के “जठा तांई म्हारा में पाप अर विकार रो थोड़ो सोक अंस भी भर्यो रेवेला, उठा तांई म्हारे वास्ते संसार रो सुख भोगणो हराम है।” आपरी रेणी करणी बदळ’र ओ महात्मा हुयग्यो। ई महात्मा का उपदेश समझबा लायक है। थोड़ो सोक नमूनो अठे देऊं हूं।
(१) अगर कोई दूजा पर आपरो हुकम चलाणो चावो तो थांने चाहीजे के पेली थे खुद आज्ञाकारी (हुकम मानबावाळा) बणो।
(२) आपका अन्तर को प्रकाश हीज मानणो अर बीं के अनुसार चालणो चाहीजे।
(३) जिके मिनख इन्द्रियां रा गुलाम है, दुराचारी है तथा बे धर्म-गुरू,अर धर्म-नीति सूं विपरीत हीज रैवै अर चालै है ब्यांका दोष बतावणा, निन्दा नहीं है।
(४) मरे बेहीज मिनख है, जिकै आपरे ऊपर घणो बोझो उठायां बेवै है। बे मिनख मुक्ति पावे है, जिके इण भव में हीज आपरो भार हळको कर जावै है।
(५) जिके मिनख संसार नै पराई अमानत समझ’र चालै है, ईश्वर ब्यांरा अपराधां नै माफ कर दैवै है। अमानत, मालधणी नै ज्यूं की त्यूं सूंप’र आपरो बोझो हळको कर लेवै, वे मिनख इण संसार समुन्दर ने सेंत-सेंत में हीज पार कर जावै है।
(६) विषय-वासना में उळझ्योड़ा मिनख मरती बखत तीन बातां खातर झुरता रैवै है-
(१) ब्यांरा मन में ओ अफसोच रैह जावै के म्हैं म्हारी इंद्रियां रा सुख नै भरपेट नहीं भोग सकिया।
(२) म्हांरी आसावां अधूरीज रैह गई।
(३) जावती बिरियां आगला भव रै वास्ते कोई भातो नहीं बांधियो।
(७) अगर थे ओ जाणणो चावो के मरियां बाद लोग थांने किण तरे याद करैला तथा थारी वास्ते कंई कैवेला, कैसो बरताव करैला तो थें ब्यां लोगां कांनी देखो जिका अठा सूं चल्या गया अर, लोग ब्यांरै वास्ते कंई कैवै है।
(८) आपरी कामनावां (लालसांवां) ने जिके मिनख पगां नीचे न्हाख’र कुचल दे बे हीज मुक्त है। जिणां अे ईर्ष्या त्याग दी उणांने हीज ईश्वर प्रेम मिले है अर जिका लोगां एक धीरज राखणो सीख लियो है, वे हीज आछा फळ पावण रा अधिकारी है।
(९) साधना रा मूळ तत्व तीन है-
(१) साधक आपा रा मूंडा सूं बाहीज बात कैवै है जिकी ईश्वर रा आदेश सूं बींकी अन्तरात्मा में उठै है। बींनै ई बात की चिन्ता नहीं के सुणबा वाळो राजी हुयो कै नाराज।
(२) जिकी बातां ईश्वर नै आछी नहीं लागे, ब्यां बातां सूं बो आपरो मन खींच लैवै।
(३) जिकी बातां ईश्वर ने प्यारी है, ब्यां बातां के वास्ते वो आपरो प्रयत्न करतो रैवै है।
ओ मिनख कुण?
मुसळमानां का धर्म नै मानबा वाळो, दुनिया रो भलो चाहबा वाळो, बसरा नाम का एक नगर रो रेहबा वाळो महात्मा हुसैन हो।
लोग आज भी आनै अर इण रा उपदेशां नै याद करै है।