बळद बस घड़ी—स्यात रो हो। पेट बींरो आफर परो ढोल हुयोड़ो हो। आंख्यां मींचीज्योड़ी ही। मूंढै सूं झाग निसरै हा। थम-थम बींरै पगां मांय बांयटा आवै हा। म्है बींरै चौफेर गोळ घेरो बांध’र ऊभा हा।

—सिहागांवाळी ढाणी रो दीसै है। जीवण बोल्यो।

—नईं। छोटी सादड़ी रो है। बूढो बळद हो। फेर केई दिनां सूं बीमार, सो बनेसिंग जेवड़ो काढ दीधो। तारू नायक जाणकारी दीनी।

दिन हणै निसर्‌यो हो। रात नै बळद कांई ठाह कठै सूं आय’र गुसाइयां रै घरां आगै पड़्यो हो। अबै म्हैं फगत बींरै अंतकाळ नै उडीकै हा। अेक-दूजै सूं भांत-भांत रा सवाल-जवाब करै हा। इत्तै में म्हारै नेड़ै ऊभी बिम्बो बोली-बचणो मुश्किल है। फेर थोड़ी ताळ सोच’र उण आपरी भूल सुधारी-बच भी सकै है।

म्हांरी सगळां री दीठ अबै बिम्बो कानी हुयगी। दांतण करतै तारू नायक थूक री पिचकारी अेक कानी छोडी अर बोल्यो—क्यूंकर?

बिम्बो रो पूरो नांव बिमला हो पण म्हैं बींनै अपणायत सूं इणी नांव बुलावता। मुंसपैलटी में बींरी तेईस साल री नौकरी ही। तेलीपाड़ै सूं लेय’र रामदेवजी रै मिंदर तांई बा मारग बुहारती। बिम्बो रो हलको बाजतो। गुसाइयां रो घर, जठै म्है ऊभा हा, तेलीपाड़ै रो छेकड़लो मकान हो। इणरै आगै कुन्नी जमादारणी रो हलको हो। कुन्नी तुनक-मिजाज अर गरम स्वभाव री ही। हलको बुहारण री बींरी घणकरी टेम नसवार सूंघणै मांय जावती जणा कै बिम्बो आपरै हलकै री सड़कां अर गळियां नै पळपळाट करती राखती।

जीवण तारू री बात नै दुसराई—तो बच कियां सकै है बिम्बो?

बिम्बो मुळकी—भाई साब! बिम्बो रो हलको है। म्हारी बुहारी रै तळै आज तांई कोई सांसर नीं मर्‌यो। तेईस साल री नौकरी हुयगी मुंसपैलटी मांय। सगळां नै ठाह है कै म्हारी बुहारी री तासीर ठंडी है।

म्हैं आगै कीं पूछतो उणसूं पैली बिम्बो रो मुहावरो पाछो बदळग्यो। बा विरक्त भाव सूं बोली—अर मारै भी क्यूं भगवान। पांच-सात रिपिया रो लोभ-लालच म्हनै नीं है।

—पांच-सात रिपिया...? तारू नायक इचरज दरसावतो थको बोल्यो।

—बात है... बिम्बो म्हांनै सगळां नै समझावण ढूकी-संसार मांय जिको जलमै, बो मरै भी है। पशु तो बापड़ा जणा नकामा हुय जावै, समझो मौत नेड़ै आयगी। पण जिकी जमादारणी रै हलकै मांय बो मरै, बीं ऊपर बींरो हक हुवै। बा पछै भलांई बींरो कीं करो...।

—पण पांच-सात रिपियां रो ईं में कांई लेणो-देणो? तारू बात नै फेरूं दुसरावतां थकां पूछ्यो।

—इयूं है। बिम्बो सफाई दीनी-म्है बां डांगरां रो कीं नीं करां। बांनै खाल काढणवाळै तारगियां नै बेच देवां। पशु लूंठो हुवै तो दस-बारै रिपिया रो बिक जावै पण ईं बळद रा तो कोई पांच-सात रिपिया मुश्किल सूं देसी।

बिम्बो रै मन री बात जाणै उणरै मूंढै माथै आयगी।

—पण रिपिया थांनै किण बात रा? तारू कळसळतां थकां फेरूं पूछ्यो।

—क्यूं? कानून है तो...। बिम्बो कह्यो अर कह परी जाणै पाछी मुकरगी-पण क्यूं दिरावै भगवान इसा पइसा। मर्‌योड़ै सांसरां रै मांस री कमाई खाय’र म्हैं तो बियांई राजी कोनी....।

—ठीक बात है। तारू रो ध्यान खुरड़ा खोदतै बळद ऊपर पाछो टिक्यो।

—गुड़ री नाळ देय’र देखां। स्यात थोड़ो-घणो निवास बापरै बापड़ै रै डील मांय।

—पड़्यो हुवैलो थोड़ो-घणो पुराणो गुड़ थांरै? तारू अचाणचक म्हारै कानी बावड़्यो।

म्हैं नटण तांई कोई ओळाव ढूंढ हो कै म्हारै नेड़ै ऊभो कासम बोल्यो—गुड़ री डळी तो के ठा म्हारै पड़ी हुवैली, काळियै री।

—चंगा तो। जीवण बोल्यो-नाळ म्हैं लेय’र आवूं।

—इयां किसो अमरपट्टो लिख देसो ईंनै। बिम्बो उदास-सी बोली-ईनै तो छेकड़ मरणो है। आज नईं तो तड़कै। में अबै बच्यो कांई है? थोड़ी थम’र उण आपरी बात नै पाछी सुंवारी-पण मिनख नै आपरी कोशिश तो करणी चाइजै।

—हां मई, गऊ रो जायो है बापड़ो। आपांनै इत्तो तो करणो चाइजै। कांई ठाह...। तारू मन-ई-मन मुळकतै थकै बात नै जावण दी।

गुड़ री नाळ हाथ मांय झाल’र तारू म्हां सगळां नै हिदायत दीधी कै म्है बळद रो जबाड़ो झाल’र बींरो मूंढो खोलां। अळगी ऊभी थकां बिम्बो तारू री ईं बात नै जाणै ऊपर-री-ऊपर बोच ली-बळद रै मूंढै मांय तो दांत है कोनी। तारू रो जबाड़ो झाल’र ईंनै देवो नाळ! बापड़ै रो मूंढो तो मीठो हुसी!

—मजाक री टेम कोनी आ। कासम बोल्यो। काम री ईं बात रो सगळां सूं घणो असर म्हारै ऊपर हुयो। म्हैं स्याणै आदमी दांई आगै आयो अर दोनूं हाथां सूं झाल’र जबाड़ी खोल दीधी। नाळ नै बळद रै मूंढै मांय ओजी अर गुड़ रो निवायो पाणी बींरै कंठा ढाळ दीधो।

तारू बींरा सींग झाल’र बींरी गुद्दी ऊपर थापी दीधी अर दो-च्यार मिनट उडीक’र बोल्यो-खड़्यो कर’र देखां।

—ले जाय’र घरां बांध लै बाप नै! बिम्बो तारू नै गाळ काढती-सीक बोली—छोरो हाळी हुसी जणा काम आसी। बिम्बो री ईं बात नै म्हैं सगळां कानां नीं ढाळी। अफसोस सागै बळद रै च्यारूंमेर चक्कर काट’र तारू बींरी पूंछ झाली अर बींनै खड़्यो करण तांईं ताण मारण लाग्यो। आप आपरा फरज पिछाणता थका म्हैं सगळा बींरै सहारो लगावण ढूक्या। म्हैं बींरा सींग झाल’र सीधा कर्‌यां। कासम बींरी थुई झाली अर उलट’र सीघो करण री कोशिश करण लाग्यो। तारू बींरी पूंछ मरोड़ी अर बोल्यो—हेऽऽ ल्यो!

—हैऽऽ ल्यो! म्हैं सगळा जोर लगावता थका बींरै लारै रा लारै बोल्या अर बळद नै खड़्यो कर दीधो।

बळद रै ऊभो हुवतां बिम्बो रही—सही फेरूं भुसळीजगी। म्हैं सगळा भलो करण रै भाव मांय आंधा हुयोड़ा हा। जीव दया रै भलै भावां सूं भर्‌योड़ा हा। बिम्बो कानी म्है कोई ध्यान कोनी दियो अर हाथ-पग झाड़ता थका भला मिनख बणण लाग्या।

—जीव सगळां मांय अेक-सो हुवै, मिनख हुवो भलांई पशु!

—बापड़ै अणबोल पशु री आतमा आसीस देसी!

—भौत ठीक कर्‌योजी!

आं बातां रो रस लेवता केई ताळ तो म्है तीन टांगां ऊपर ऊभै बीं बळद नै जोवता रह्या। पछै टुर बहीर हुया।

—टिच...टिच...टिच...। तारू बींरी पीठ ऊपर आपरी दांतण रो हूरो मारतै थकै टिचकारी दीधी। बळद आपरी नाड़ आगीनै खींच’र लारलै पग रो झटको दीधो अर बठै सूं अेक पग और आगीनै सरकग्यो। बळद रै इयां आगीनै सरकण री सगळां सूं वत्ती खुशी तारू नायक नै हुई। बो आपरा सूगला दांत काढ’र म्हां सगळां रै सांम्ही हंस्यो। आपरै कान ऊपर टांग्योड़ी बीड़ी उतार’र सिलगाई अर धुंवै रा भतूळिया छोडण लाग्यो।

—आह... आह... आह... टिच... टिच... टिच...। बीं बळद नै औरूं हांक्यो। बळद मुश्किल सूं दो-तीन पांवडा सिरक्यो हुवैला के बीरै हांफणी चढगी जर बो अबै पडूं अबै पडूं री हालत मांय ऊभो रहग्यो।

—लेज्या... लेज्या आपरी माऊ रै हलकै मांय। सात मांय सूं तीन थनै मिल जासी। बिम्बो बळती-झळती सगळां नै सुणावती थकी कह्यो।

तारू नायक बींरी बात नै अणसुणी कर दीधी बर ठो-ठो-ठो कर’र बळद नै धक्कै सूं हांकण ढूक्यो। बळद कुन्नी जमादारणी रै हलकै सूं अबै पांच-सात पांवडा रहग्यो हो। आप आपरी कार-मजूरी पर जावण री खथावळ अर बळद नै बचावण री बहादुरी रा किस्सा घरां सुणावण री हूंस मन मांय लियां म्हैं लोग पूरी बात रूपाळी भाषा में घड़ता घरां कानी बहीर हुया।

अेक उडती-सीक निजर बळद ऊपर नांखी। बो बठै-रो-बठै खड़्यो हो। सूरज खासा चढियायो हो। तावड़ो चमकण लागग्यो। बुहारी काढती थकी बिम्बो खासा आगीनै निकळगी ही जाणै बीं बळद सूं अबै बींनै कीं लावलेस नीं रह्यो हुवै।

उन्नै सेवाराम धर्मार्थ प्याऊ रै नेड़ै बैठ्यो तारू नायक कुन्नी री डिब्बी मांय सूं नसवार ले-लेय’र आपरी नासां मांय दाबतो, मुळक-मुळक बींसूं रिगळ करै हो। कुन्नी मुळक-मुळक’र बींसूं कोई खास सौदो तय करण मांय लाग्योड़ी ही। बळद आपरी तीन टांगां ऊपर खड़्यो थर-थर कांपै हो। इयां लागै हो जाणै पून रै टिल्लै सागै पड़ जावैलो। अेड़ै-छेड़ै उडती दीठ नांखता थका म्है आपो आपरै गेलै गया।

सिंझ्या म्है जणा घरां पूग’र देख्यो तो देखता रहग्या। मोहल्लै रा लुगाई टाबर आप आपरै घरां रै चूंतरां ऊपर ऊभा हा। सांम्है जीवण रै घर रै चूंतरै ऊपर बैठी बिम्बो आखै मोहल्लै नै गाळां सूं भांडै ही। बोल्याळ बींरो भलाई खासा ऊंचो हो पण बोलण रो ढाळो विलाप सूं घणो अळगो नीं हो-पैली बात तो म्हारी बुहारी हेटै भगवान कोई पशु मारै क्यूं अर दूजी बात करै कोई रांड छिनाळ हुवै जिकी।

दूजी बात रो अरथ म्हारै सावचेत सुण्यां समझ में नीं आयो। म्हैं अेक सवालिया दीठ बिम्बो ऊपर नांखी। बा आपरी हणै-हणैई कह्योड़ी बात रो खुलासो करै ही— अेक तो साळै तारियै नायक नै सात मांय सूं रिपिया देवो तीन दूजो बींरो मन राजी करो बाद—बाकी मांय। म्हैं म्हारी बुहारी री कमाई खावूं, मांस री नीं खावं!

बिम्बो री सगळी बातां अबै म्हारी समझ मांय आयगी ही। म्हारी निजर अचाणचक बळद कानी गई। सेवाराम री प्याऊ रै नेड़ै बळद कुन्नी रै हलकै में पड़्यो आपरा घटता सांस पूरा करै हो। जीभ बीं री बारै निसर्‌योड़ी ही। मूंढै सूं निसर्‌योड़ा झाग सूखग्या हा। डील लीलो पड़ग्यो हो। बळद रै लारलै पगां रै नेड़ै बैठ्यो तारू बीड़ी रा कस खींचै हो। मूंढै सांम्है बैठी कुन्नी जमादारणी तमाखू यूं सूंघै ही ज्यूं बळद रै छेकड़लै सांस री उडीक में बगत काटती हुवै। बळद री अटकती सांसां रै सागै कुन्नी री आंख्यां मांय झांकतो तारू नायक कोई अणहूंती सैना-मैनी करै हो।

म्हैं घृणा भाव सूं तारू नायक रै पीळै दांतां अर कुन्नी रै नसवार सूं भर्‌योड़ी थोथरी नै जोई तो इयां लाग्यो जाणै बळद री पळ-पळ अलोप हुवती चेतना रै सागै तारू नायक री उत्तेजना बधती जावै ही।

स्रोत
  • पोथी : उकरास ,
  • सिरजक : जनकराज पारीक ,
  • संपादक : सांवर दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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