जरीतास जरदोज रा पड़दा अतलस पाट।

हेम हल्लबी काम हुय काचां बणै कपाट।

काचां बणै कपाट भली छबि भार री।

दीये दर दीवार जोति जुहार री।

झळमळ झाड़ गिलास बिचे पड़ि बत्तियां।

समै दिवाळी साज रहै सब रत्तियां॥

स्रोत
  • पोथी : अलवर री खटरितु झमाल ,
  • सिरजक : शिवबक्ष पाल्हावत ,
  • संपादक : नारायण सिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी शोध संस्थान, जोधपुर