अरबुद अक आडावळो जोड़ पूगै जास।

तर गिरवर अलवर तणा किनां बियौ कैलास।

किनां बियौ कैलास अनड़ इण भांत रा।

पाहण पाहण पूर झरै गिर नीझरां।

खोह खोह खरळाट सरित पूगै सरां॥

स्रोत
  • पोथी : अलवर री खटरितु झमाल ,
  • सिरजक : शिवबक्ष पाल्हावत ,
  • संपादक : नारायण सिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी शोध संस्थान, जोधपुर