सावचेत नत पूरो रीजे
दगाबाज सूं दूरो रीजे।
काळो पड़जाजे ऊपर सूं
भीतर सूं पण भूरो रीजे।
आख्यां सामै अन्द्याई पै
थू बळकारी सूरो रीजे।
खरा पसीना की गुणकारी
धन सूं सदा मजूरो रीजे।
बैरी न्हाळ पड़ैगा मोळा,
तन सूं सदा खजूरो रीजे।
पूजनीक कै सामै लुळ-लुळ
मन सूं जी हजूरो रीजे।
दर्पण बण रै सदा मदारी
छाकर मती जमूरो रीजे।