सैलंग कूड़ धिकै कद धोरी

धणी सुणी नित बातां कोरी

‘धकै चाल धन सल्लौ देसां’

—यूं कह माल ठगै धण जोरी

धूणै सेक मानखौ भख ले

अे साधुड़ा घणा अधोरी

अबकाळै पण पोत उघड़ग्या

भोळीजै कुण बातां फोरी

पंजाळी रा उडया फूंतरा

चमक बळद न्हाटा नागौरी

सूनी निजरां पोळछ झांकी

जाणै उण रौ धणी धोरी।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : कल्याण गौतम ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन