सगळी हामळ भरती रेवै

खुद सूं बंतळ करती रेवै

घर री सै खुसियां रै खातर

दिन उग्यां सूं फरती रेवै

म्हूं छीकूं उणनै पीड़ा व्है

पाठ-बरत व्हा करती रेवै

उण खातर म्हूं टाबरियो हूं

आंसू-पीड़ा हरती रेवै

रोज उडीकै म्हारो मारग

मा आंख्यां में तरती रेवै

स्रोत
  • पोथी : अचपळी बातां ,
  • सिरजक : मोहन पुरी ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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