पीड़ नै जण-जण सुणायां कीं मिलैला

पेट अर माथो दुखायां कीं मिलैला

ओळमा पै ओळमा देवै अठै सब

पाहुणा घर में बुलायां कीं मिलैला

बोल आडा चीर देवै काळजो जद

सूळ अर सूयां चुभायां कीं मिलैला

हार मांडै सांच निसदिन व्है अपूठो

झूठ नै पाळो गुड़ायां कीं मिलैला

भरी दौफेर लूटै बैठ उजळो

दीप में बाती जुपायां कीं मिलैला

देख ऊंळा न्याव रा पग राम रोवै

रोज माथो लुकायां कीं मिलैला

घोर कळजुग देख 'मोहन' कुण बसायो

पाप गंगाजळ धुपायां कीं मिलैला

स्रोत
  • पोथी : अचपळी बातां ,
  • सिरजक : मोहन पुरी ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण