म्हैल माळियां रो मोद मुकै

तो म्हारी गुवाड़ी देखी।

हाथां बणायै घर नै कदी

साम्हीं आँख फुड़वा देखी।

आपरै हाथां पाळी-पोखी

फेर जै'र पिला देखी।

धुड़कै लोहीझिराण अेकलो

ताडै पूत रूळा देखी।

पसुवां मांय परम ढूढतो

जूण रो मोल फळा देखी।

जै मूण्डै सरम हुवै मिनखां

म्हानै मिनखां रळा देखी।

स्रोत
  • सिरजक : शिव बोधि ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोडी़