लोपे सगला कार, ग्यारस करलै बावळा

कीं व्है दुखड़ो गा'र, ग्यारस करलै बावळा

पूग्या संसद मांय, धूळो खानै धाड़वी

झूठी खणकार, ग्यारस करलै बावळा

नाखै घणा नसास, बांग दैयनै बोलणा

हद भूंडी बदकार, ग्यारस करलै बावळा

मूंडै मूंडै बात, आछा दिन आसी अठै

घर बेचै सरकार, ग्यारस करलै बावळा

थारो दाळद देख, टाटी रो घर फेर थूं

मत झालर टणकार, ग्यारस करलै बावळा

बैठ समाधी मांय, मंतर बांचै कांवळा

मर जा थूं गुड़ खा'र, ग्यारस करलै बावळा

रोज भतूळिया आय, डुगट उड़ावै घणकरा

मत कर सिणगार, ग्यारस करलै बावळा

माथै लीधा जूत, धरण चढ़ाई काळजै

थारो कीं इधकार, ग्यारस करलै बावळा

'मोहन' आंख्यां मींच, तूंबी सागै जावणो

काया होणी गार, ग्यारस करलै बावळा

स्रोत
  • सिरजक : मोहन पुरी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी