मन रा बंद किवाड़ जङ्या है कांई बोलां

हाथ हाथ ले डांग खङ्या है कांई बोलां

दिन भर तोड़ै खाट ठाठ ज्यूं राजा कोई

आळस नौ नौ मण पङ्या है कांई बोलां

बे - माता रा लेख हुवै म्हांनै केठा

आने घड़ बे बाड़ बङ्या है कांई बोलां

बस म्हैं हूं म्हांरै सूं ऊपर कांई होवै

अंगद सो पग रोप अङ्या है कांई बोलां

म्हैं क्यूं राखो आप जलम थानै दिन्हो

मा सारू बे रात लङ्या है कांई बोलां

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : राजूराम बिजारणियां