गरभ नाळ में पनपै है स्रिस्टी सारी

जैर गिलोई डळी ज्यूं क्यूं बेटी लागै खारी

सभ्य गिणीजै वांरै निरदय हाथां सूं

उदर मांय टूंपीजै आंगण री किलकारी

अणगिणती री छोर् ‌यां नै तौ गिटगी है

कळप रैयी है जलम-जलम री दुखियारी

बंगला, बैंक, तिजोर्‌यां, लॉकर मिल छोरी नै

खतरनाक मानै है, कायनात सारी

तीज-तिंवार, तिलक तुलसी अर राखी बिलखै

लूलै-लंगड़ै जीवन में क्यांरी है हुसियारी

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : सुमन बिस्सा ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा