जीव आपरो बाळै करसो,

खेतां सींव संभाळै करसो।

हळ सूं खींचै रोज लकीरां,

माटी हेम निकाळै करसो।

ठूमण माथै बण टापरी,

दिन अर रातां ढाळै करसो।

सुपणां बीजै नुंवी फसल में,

तामस रैण उजाळै करसो।

इण भोळी मतगत सूं 'मोहन',

नित रात रूखाळै करसो॥

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो 2016 ,
  • सिरजक : मोहन पुरी ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशन पिलानी
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