छाजै नीचे, टोडै ऊपर

करै गुटरगूं अेक कबूतर

घर-भर नै भूल्योड़ा गाफळ

खेल रह्या है कद सूं चर-भर

खमरिया खायोड़ा कद सूं

सोध रह्या है वै थारौ घर

तिणखौ ले तिरिया है कितरा

खोद सकैला नख सूं भाखर

कद सूं भोळावण देतौ हौ

तूं थोड़ौ तौ खुद सूं डर

उडतौ घणौ इतरियोडौ वौ

काट लिया कोई उणरा पर

ढोल ढमाका घणा घुरीजै

कुण सांभैला थारी टर-टर

स्रोत
  • पोथी : अपरंच राजस्थानी भासा अर साहित्य री तिमाही ,
  • सिरजक : सत्येन जोशी ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा