काळज्या को बोझ माथा पै घणो
ढळकता आंसू की लड़लूमा घणो।
केंसर अर एड्स पचग्या भूख मं
आज रोटी खार मरग्यो नारणो।
रूप राणी को गरीबी भाग मं
फेर जण-जण क्यूं बखाणै माजणो।
बाळपण ई याचना की सीख दी
भाग मं दुतकार मांडी जामणो।
चीख सिसकारी बखरती आंगणै
आज बहरो हो ग्यो क्यूं बारणो।