अस्यो पड़यो अब कारण कै,
ई धरती पे काळ
मनख, पखेरू, जानवर
सारा छै बेहाल
फंसतां ज्यारी छै चड़यां
जी में आया आप
बगत शिकारी नै अस्यो
अजब बिछायो जाळ
आछ्यो कम्पयूटर बण्यो,
हाथ हुया बेकार
ऊपर सूं मंहगाई ने,
खाची तन की खाल
आयो टीवी पांवडो
चालै छै बिन पांव
देख’र ई की चाल नै
बिगड़ी घर की चाल
अब म्हूं म्हारा देस को
काई महातम गाउं
परदेस्या ने नूत के
हो बैठ्यो कंगाल
कर जोड्या मांगू थासूं
सुण म्हारा करतार
रहै जग भूखो रहे उडै,
म्हारी बाटी दाल
‘पंकज’ म्हारो नाव छै,
मांडू गजला गीत
कोटा में कटरयी अस्या,
ऊमर साला साल