आभै में है खळ-बळ
धरती ऊपर हळचळ
चांद उग्योड़ा अणगिण
हिवड़े में है झळ-झळ
न्हाठै लोग फरराट
ओछी जिंदगी पळ-पळ
छत सड़कां एक हुई
भाठा भी है दळ-दळ
आज अपणा भी लोग
जोवै तो है टळ-टळ
सदियां जूनी मूरत
रोळी उतरै रळ-रळ