आपस में सब रळ मिल रहणी, है अठारी परिपाटी।

एक वतन है एक रगत है, दिल्ली हो या गोहाटी॥

म्हाने है प्राणां सूं प्यारी, भारत री पावन माटी।

इणरे खातर लड्या सूरमां, झड़पड़िया मैजर भाटी॥

हंसता हंसता सीस दे दियो, इणरो मोल चूकावांला।

इण धरती रा लाडेसर म्हे, गीत जीत रा गावांला॥

हिमाळे री चोटी माथै, तिरंगो फहरावांला।

गावांला म्हे गीत जीत रा, घर घर ढोल घूरावांला॥

इण धरती रा लाडेसर म्हे गीत जीतरा गावांला।

सुणलो सबही कान खोल कर, नीं देस्या म्हांको कसमीर॥

जो कोई करसी कुचमादी तो, म्हे देस्या उंकी छाती चीर।

है म्हारी मायड़ धरती, म्हे इंरा हां पूजारी॥

याद करांला कुरबानी म्हे, अमर शहीद आहूजा री।

हंसता हंसता सीस दे दिया, इणरो मोल चूकावांला॥

इण धरती रा लाडेसर म्हे, गीत जीत रा गावांला।

निरमल जल री नदियां बह रही, गंगा जमुना रो-पाणी॥

राम कृष्ण री जलम भोम आ,अठै गुरू गोविन्द सा बलिदानी।

जौहर री ज्वाला में भभकी, पत राखण पदमण राणी॥

गांव गांव में गूंज रही है, नानक री इमरत बाणी।

इण धरती ने नमन निरन्तर, शतशत सीस झुकावांला।

इण धरती रा लाडेसर म्हे, गीत जीत रा गावांला।

हिमाळे री चोटी माथै, तिरंगो फहरावांला।

इण धरती रा लाडेसर म्हे, गीत जीत रा गावांला॥

स्रोत
  • सिरजक : मोहन सिंह रतनू ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी