उणियारै में और घणा उणियारा है,

ऊपर एक, अभिंतर न्यारा न्यारा है।

कोई का’णी एक रूप में रवै नहीं,

कोई कैबत एक रूप में कवै नहीं।

परतां पर परतां रो एक झमेलो है,

दीखै बो ही नहीं, और भी खेलो है।

आँख्याँ-देखी रो विस्वास निभै कोनी,

देख्यै में अणदेख्या घणा किनारा है।

उणियारै में और घणा उणियारा है,

ऊपर एक, अभिंतर न्यारा न्यारा है।

पगां नीचलो गैलो एक इसारो है,

चालणियै नै और घणा रो सारो है।

भीतर-बारै अरथ हजारां हुया करै,

पण कद सबद अरथ नै पूरो छुया करै।

भीतर जाणो है तो हुंसियारी राखी,

ईं घर में अणगिणती रा गळियारा है।

उणियारै में और घणा उणियारा है,

ऊपर एक, अभिंतर न्यारा न्यारा है।

एक बीज में लाखां बीज छिप्योड़ा है,

फूल पानड़ा राणो-राण चिप्योड़ा है।

स्रोत
  • पोथी : उजाळो थपक्यां देरयो ,
  • सिरजक : मुनि बुद्धमल्ल ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य एवम संस्कृति जनहित प्रन्यास