तप तप तप तप हूरज चमकै डीले लागै लाय रै

टप टप टपके आज परेवौ हईयू भी घबरायै

आव्यौ ऊनाळौ....

वाट मारगू आजे जोवैं वड़ला वारी छाया रै

टाडूपाणी पीवा मले तौ तरपत थईजायै काया रैं

रसबपड़ी नें आगळ बतरिस भोजन भी फीकं लागै

खाटी सा नें कांदो रोटी अणी वगत मेंठ लागै

जमवा पूठै आवै उबासी नें दर आवी जाय

आव्यौ ऊनाळौ....

मउड़ं वारी गंध नसीली हर केनै भी भावे रै

होंडली लई आखं घरवारं मउड़ं वेणवा जावें रै

नांन मोटं छोरं छाबरं मउड़ं वेणी खावे रै

वेणतै-वणतै मस्त बणी जयं गीत हरख नं गावें रै

आंबा नीचे बेही दीतो पेहां वजाड़े रै

आव्यौ ऊनाळौ....

आंबा माथै केरी जोई हर कोई ललचावे रैं

भाटो मारी केरी खावा हर केनू मन थावे रै

कोई बणावे अनौ घसोंबौ कोई कोई डाचावे रै

आंबा ना रखवार नें मानै अनै घणों नचावै रै

गोंगणो खाते जोईनै मूंडा मअें पाणी आवे

आव्यौ ऊनाळौ....

उनाळा मों आजे नदियं नूं पाणी हूकाणू रे

तळाव नै बावड़ियं नूं पेंदू आजे देखणू रैं

वना सार पाणी नें सांप-ढांड फाफं मारे रै

लू ना ऊना आज थपेड़ा आखा डील ने बारे रैं

पणघट माथै होंपौ पड्यौ राम अवे हुं थाय

आव्यौ ऊनाळौ....

तड़का ऊं घबराई खेडुत आंगास मअें जोवै रै

तरस्यं सांपं- ढाडं जोई आपणा मन मअें रोवे रै

पेट नौ खाड़ौ भरवा डोहो आज तगारं नाखे रैं

तपती जेठ नी धरतीनी छाती माथै हळ हांके रै

पोगं और हथेळी माथै छारा थईग्या आज

आव्यौ ऊनाळौ...

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : उपेन्द्र अणु ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा
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