उजाळो बंदी होरयो है।
पड़यो परायै हाथां बेबस जीवन ढोरयो है।
उजाळो बंदी होरयो है।
परजीव्यां रै कमी हुवै कद? सदा दिवाळी है
श्रमजीव्यां रै पांती आई रातां काळी है।
न्याय-घरे अन्याय घुस्यो, पो’रायत सोरयो है।
उजाळो बंदी होरयो है।
समो कुंडली मार दबोचै सैं री पुन्याई।
रोग-सोग री जुड़ै मंडळी, चुप है शहनाई।
पतो नहीं कुण के पारयो है? कुण के खोरयो है
उजाळो बंदी होरयो है।
बोळो हुयो जमानो, सुणसी – कुण दुखड़ा थारा?
टुकर-टुकर तूं देख रयो के सैं रा उणियारा?
फसलां काट रया सगळा, बस तूं ही बोरयो है।
उजाळो बंदी होरयो है।