बागां ऊपड़ी सतारा सेन वाळी चोड़ै खेत बीच,
रूकताळी घड़ी हेक वागी वज्रवाह।
नाथाणी जोधार वंस नीधोखे हरौळां नेत,
नेत वेही कीधो बधै हरोळां निबाह॥1॥
चण्डी हाक डाक हूवै हैजम्मा हुचक्कै चोड़ै,
कोळ दाढ चक्के भू लचक्के कौम कंध।
जाडो भार पड़ंतां आमेर आडौ अद्र जेम,
बीजौ नाथ जूटौ फोजां लाडौ नेतबंध॥2॥
कोमंडां भणंके चीला सणंके साइकां सोंक,
सनाहां खणंके कड़ी केई जोम सास।
कोध झाळा मत्थे डाक डंडाळा रणंके केई,
वीर काळा मत्थे केई झणंके बाणास॥3॥
तेज जंगां तोकै बोम बारंगां विलोके तूं ही,
धारंगा सघोखे तूं ही अंगां आग धीठ।
जंगां नाग काळां धू पहाड़ काळा तूं हीझो कै,
रोखंगी कराळा तूं ही रोकै आका रीठ॥4॥
गिरंदां कंकोड़ डंडा रोड़ नगारां सूं गाजै,
भाजै भीत भारा सूं के कारिमां भाराथ।
साहंसी सहस्र सार धारा सूं सिनान साजै,
नाथ सतारा सूं बाजै नाथवतां नाथ॥5॥
काळी श्रोण वोका लेत लोहणेस वाळा कुंड,
झाळा खगां खोहणेस बाळा तोका झंड।
विमाण अरोहणेस बाळा बौम लोका बोले,
मोहणेस वाळा काळा झोका राड़ी मंड॥6॥
नंद भूतनाथ नूं नचाड़ी धाड़ी वीर नट्टां,
रूक हूंत राड़ि नाग घटां कीध रोध।
कोध धार हटां जूझ बटां थटां झड़े केई,
जोध मारहटां पाड़ी पड़े महाजोध॥7॥
झाळ काळ भड़ां घड़ां झड़क्की औझड़ा बाहे,
दाहे बज्रबांण भड़ां छटां बांण धोक।
सूर धीर बांण कै कबांणगीर बाण साहे,
लाहे गीरबांण रूपी नीरवांण लोक॥8॥