गीत सपंखरौ

महा अड़ीलौ वज्राग वाघ हिन्द री फौज रौ मांझी,
केवी नाग लाग खेध विभाड़े केतांन।
छिबंतौ गैगाण भाटी थाग ले चीण रा थट्टां,
सिन्धू राग फाग खळां खेलियौ सैतांन॥

ऊठी उत्तराद सूं विछूटी चीणी फौज आंधी,
रूठी झंफ झाले झूठी फूटी हद्द राड़।
वूठी झड़ी गोळियां री धार ली अनूठी वीरां,
पूठी ठोर फोर दी अपूठी भू पछाड़॥

आयौ पारवांनौ औढी भोम जोस छायौ अंगां,
सेना लायौ अड़ीखंभ हेम रौ सुजाव।
केहरी रीसायौ काळा नाग नूं छिड़ायौ कना,
रिमां वातळायौ धायौ इसौ भाटी राव॥

डाक धाक मची सीमा मोरचै भिड़ाक डेरां,
लोह रै लड़ाक हाक बाजतां लद्दाख।
इळा चढ़ी चाक नाक बचातां हवाई अड्डौ,
सूर चन्द्र भरै लाक सुरमै री साख॥

केवी सेना कोट हंदा जोपता सीकोट केता,
चोट लगी दोट तोपां गनां री चुसूल।
ओट ले मोरचां तोट कीना लोटपोट अरी,
भड़ां री मठोठ चीणी गया हौस भूल॥

त्रंबागळां त्रीठ पड़ै रीठ उडै नाळां तोपां
नीठ लड़ै जोध धूंवा मीठ सूं निराट।
भाटी जेथ पीठ थापी हिन्द रा गरीठ भड़ां,
दोयणां मजीठ दीठ किया भोम दाट॥

चाढ़ पोतां नक्रमुखी बक्र ज्यूं वाढ़िया चीणी,
हुवा खख्र-बख्र अरी फिक्र सूं हैरांन।
पायौ तैं परम्मवीर-चक्र स्रुग्ग पाट पूगौ,
तौर सक्र कना मक्रकेत रै सैतांन॥

अंत तांही जूंझियौ कुढंगी झंगी ओदियां में,
पंगी खाट जंगी मुंवौ संगी नै पठाय।
वीरता री सुरंगी किलंगी सीस बांध वसू,
चंगी वाट ग्यौ अभंगी देस नूं बचाय॥

बोध री प्रमोद री घरां में सांभळी ही बातां,
लाखीणी माँ-गोद री सूरमौ राखै लाज।
साचोड़ै जोध री छटा पेखतां सैतांनसिंघ,
आदू भड़ां ओध री सबूत दीनी आज॥

बांणासर गांम नूं बणायौ छत्री धांम बडौ,
प्रम्मवीर नांम री तमाम हांम पूर।
देक काज कांम आतां जूंझतौ सैतान देख,
जांम एक भांण तांम ढंभियौ जरूर॥
स्रोत
  • पोथी : गीत गुणमाळ ,
  • सिरजक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : थळवट प्रकाशन, जोधपुर
जुड़्योड़ा विसै