सावण नै जावण दे, भादूड़ो आवण दे।
खेतां री मस्ती नै बस्ती पर छावण दे।
आभो मट-मैलो है, बायरियो गै’लो है।
नित नई चाल चालै, फिरै बण्यो छैलो है।
रुत नै भरमावण दे, नयो गीत गावण दै।
सावण नै जावण दे, भादुड़ो आवण दे।
बूंदां बा चोट करै, सूरज भी ओट करै।
दुनिया सारी जाणै है- कित्ती कुण खोट करै।
खेती लैरावण दे, बादळ गरड़ावण दे,
सावण नै जावण दे, भादूड़ो आवण दे।
घणो रंग बरसै है, पोर-पोर हरसै है।
भीतर तक प्राणां नै- इमरत-सो परसै है।
साचो जस पावण दे, जन-मन सरसावण दे।
सावण नै जावण दे, भादुणो आवण दे।