राम नाम नहीं छाडूं भाई, प्राण तजु निकट जिव जाई।

रती रती कर डारै मोहि, सांई संग छाडूं तोहि।

भावै ले शिर करवत दे, जीवन मूरी छाडूं तें।

पावक में ले डारै मोहि, जरै शरीर छाडूं तोहि।

अब दादू ऐसी बन आई, मिलूं गोपाल निसान बजाई॥

स्रोत
  • पोथी : श्री दादू वाणी ,
  • सिरजक : दादूदयाल ,
  • संपादक : नारायण स्वामी ,
  • प्रकाशक : श्री दादू दयालु महासभा , जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै