ध्यान लगा सुणज्यो सब सज्जन

सख्त जरूरत आज की

नारी शिक्षा सफल हुयां ही

सुधरै दसा समाज की॥

नर-नारी दोन्यां सूं चालै गृहस्ताश्रम की गाड़ी

एक चाल में चतुर दूसरो बिल्कुल होय अनाड़ी

मांचै खींचातारण हमेसा

शंका रहे अकाज की

नारी शिक्षा सफल हुयां ही

सुधरै दसा समाज की॥

पढ़ी लिखी गुणवान ज्ञान की ज्योति नई जळावै

सन्तानां नैं समझदार कर घर नैं स्वर्ग बणावै

सांची सुवरण डळी कळी

खिल जावै मर्द मिजाज की

नारी शिक्षा सफल हुयां ही

सुधरै दसा समाज की॥

पढ़ी लिखी हुसियार नार की बातां ही कुछ और

मरदां की मोहताज रह्वै नयो गयो दौर

आज औरतां बागड़ोर

थामी छै हाथां राज की

नारी शिक्षा सफल हुयां ही

सुधरै दसा समाज की॥

हर छेत्तर में नारी नर सूं कोनै आज पिछाडी

पढ़ा लिखा लड़क्यां नै घट की खोलो बन्द किंवाड़ी

तोड़ो बेड़ी बढ़ो अगाड़ी

रूढ़ीवाद रिवाज की

नारी शिक्षा सफल हुयां ही

सुधरै दसा समाज की॥

हर घर में हर नर कै होवै पढ़ी लिखी घरवाळी

पूरा हिन्दुस्तान देस में छा जावै खुसहाळी

घर-घर गूंजै गीत प्रीत का

तान सुरीला साज की

नारी शिक्षा सफल हुयां ही

सुधरै दसा समाज की॥

स्रोत
  • पोथी : भंवर-पुराण 'बिरहण' ,
  • सिरजक : भंवर जी 'भंवर' ,
  • प्रकाशक : समर प्रकाशन