मेळा में मेली व्हेगी गूजरी

गेला में गेली व्हेगी गूजरी

झूमका कुणी दिराया

झांझर्‌या कुण पहराया

फागण्यो किण रो ओढ्यो

डाक्योड़ो डेली व्हेगी गूजरी

मेळा में मेली व्हेगी गूजरी

भांपण्यां कांई पळकावे

मोच मोरां में क्यूं आवे

इस्यो इतरावण कांई

लाज लैंगा में नीं मावे

किण-किण भेळी व्हेगी गूजरी

मेळा में मेली व्हेगी गूजरी

बाजरी मादळ थाली

चोवटे घूमर घाली

मान मनावारां लेती

गाम ने लूटण चाली

भगतण रो चेली व्हेगी गूजरी

मेळा में मेली व्हेगी गूजरी

मिनख मारेला छिणगारी

न्हाक मत चारे चिणगारी

ढाब ढाब उतावळ

आज मन में कांई धारी?

हाथां री झेली व्हेगी गूजरी

मेळा में मेली व्हेगी गूजरी।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत मई 1983 ,
  • सिरजक : विश्वेश्वर शर्मा ,
  • संपादक : नरपतसिंह सोढ़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर