जाणै कद आवै, कद जावै मन बिणजारो।
सुख-दुख का, यो गीत सुणावै, मन बिणजारो॥
करमां की बाळद नैं हांकै,
पण मनड़ा में कदै ना झांकै,
काया माटी, रेत ही फांकै,
खुद कै मांय जरा नीं ताकै,
फाट्योड़ी जिनगाणी टांकै,
करतो डोलै थांरो म्हारो।
मन बिणजारो॥
भूल गयो बै बातां सारी,
परम पिता सूं छी ना थांरी,
नाम रटूंला मैं नित थांरो,
बै सब बातां आय बिसारी,
घर ढूंढां में उळझ गयो तूं,
बिरथा थांरो गयो, जमारो।
मन बिणजारो॥
कंचन जैसी काया थांरी,
बीं नैं तूं कर दीन्ही खारी,
घर-घर मांही दचका देता,
बीत गई जिनगाणी सारी,
हीरो जैसो जलम मिल्यो छो,
बीं को तू कर दीन्हों गारो।
मन बिणजारो।