जै बोलो गांधी बाबा की

जै बोलो धोला गाबा की

जै जै जवान जै जै किसान

जै जै डालडा डाबा की

दूजी नै कैणो विरत करो

नै आप रोज मेवा खावो

उपदेश अहिंसा को देणो

अर खुद बंदूकां ले आवो

चोरां नै केणो चोरी कर

साहू नै केणो सावधान

राजा नै केणो घणो खमां

परजा नै केणो पुन्नवान

जै टोपी री जै रावा री

जै पगत्यां री जै थाबा री

जे बोलो करम लिख्योड़ा रो

जै पीवा री जै खाबा री

अपमान करो तो आदर सूं

अर टगी करो सब बातां पे

दिन पूरो खादी सूं ढकल्यो

रेसम सूं ढकल्यो रातां ने

बस माल परायो हा खाणा

लोगां रे माथे चढ़ जाणो

रैणो रावण री लंका में

अर राम नाम को गुण गाणा

जै कासी की जै काबा को

जै होटल की नै ढाबा की

जै धरती की जै पाणी की

जै जै अणफलिया आंबा की

अब तो बापू की सोटी है

के फाटी सी लंगोटी है

के चरखो है, के चसमो है

के एक झूंपड़ी छोटी है।

अब तो बापू की बातां है

नै ये अंधारी रातां है

हंसा तो पाबासर पूग्या

बाकी बुगलां री पांता है

जै बोलो खोटा तांबा की

जै बोलो कागज लांबा की

जै बोलो भारत मात की

जै भाभो की जै भाबा की।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत मई 1983 ,
  • सिरजक : विश्वेश्वर शर्मा ,
  • संपादक : नरपतसिंह सोढ़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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