कतना मांडू गीत और म्हूं कतना गाऊं गीत?
उपज तो भी अब राखू छ मन की मन में चीत।
आंसू अखराऊ क मांडू हांसी का चितराम
कोरो ग्यान बधार कथणी जस को झूठी नाम|
घणी निभादी रोत और म्हूं कतना मांडू गीत?
सुर कोरो आणंद कान को सबद भरम को जाळ
मन तो राजी सांची गातां पण जग नजरां झाळ
कतना तोड़ मीत ? और म्हं कतना मांडू गीत?
ऊमर भर का गीत न होळयो भर गेहू निबजाय,
कांई करूं कल्पना कोई कभी काम न आय,
सह सह होग्यौ भींत और म्हूं कतना मांडू गीत?
आज लिखूं वा काल पूराणी, जळ को धार बिचार
मुखड़ा देख'र तिलक लगांवो कलमां रो रुजगार,
बहुरुज्यां की जीत और म्हूं कतना मांडू गीत?
लिख लिख लीण्यो म्हन उजाळौ करी न काळी रात
पाछी आगी ईं घाटी में गूंजर म्हारी बात
बारखड़ी गी बीत, और म्हूं कतना मांडू गीत?