करम ना लेख भरवा पडेंगा, जिन्दगी ने मंय,
कर्यू तारु देखाई र्यू है, तो केने जाईने कअें।
बचपन हेत्तु निकरी-निकरीने, अणहमझ मंय जातु र्यू,
अेकाबीजा ने देखा-देखी, केम नुं जे वेंजातु र्यू।
अक्कल दाढ़ें आवी पड़े तो, तारे चावीने खअें,
करम ना लेख भरवा पडेंगा, जिन्दगी ने मंय।
पाप-पुण्ण तो पेले घर मंय, बाकी सब है बाद,
आणे घेरे साण्णी पेले घेरे वाण्णी, अेम तो है मां-बाप
आपड़ी ओलादे दीखी गई, इज्जत वगर नो थयं।
करम ना लेख भरवा पडेंगा, जिन्दगी ने मंय।
हाचा-झूठी नी परख करी ले, कुंण तने हमझाड़े,
मूंछ आवी है तो बाप नूं जूडू, तारे पोग में आवे।
खादे-पीदे खाली पड़े तो, डूंगरा खूटता जअें।
करम ना लेख भरवा पड़ेंगा, जिन्दगी ने मंय।