बै जीमबा की पंगतां
बै नोहरा का जीमबा, याद आवै छै
जद नाण आवै छै लेर, चूल नोत का कोका
जीमबा का अेक टेम पैली सं
दादी करै छी टोका, याद आवै छै
'जीम्या-जूठया अेक नाम'
दादी की अशी कैवतां याद आवै छै
बडा-बूढा, मोटयार-लुगाई, भाण-बेटी
सगा-समधी, मोटा छोटा को काण-कायदौ
मान घ्यान राखती पंगतां याद आवै छै
पातळ-दूना, चौगणी का लाडू, मक्खण बड़ा
आलू की झोळी-सब्जी, बेसण का मोटा भुजियां संग
माटी का सिकोरा मायं नुक्ती को घुळतो घोळ, याद आवै छै
नोहरा कै बारै बैठ्या
जूठी पातळां सूं साबत लाडू-पूड़ी
भेळा करबा की बा तरकीब, याद आवै छै
बै जीमबा का नोहरा
जांकी अेक-अेक बात
मेळ-मिलाप, अन्न आदर, अनुशासन, पर्यावरण प्रेम की
टाट–पट्टियां सू सजी-बिछी छी याद आवै छै।