ना करो हाथा-जोड़ी बापजी

नीं सरै कोई काज बापजी

मत पाळो रीत बापजी

हाथ जोड़्या हाथ खावैला

मत करो अैड़ो काम बापजी

हाथ फेर्यां टाबर अधैला

द्यो अैड़ो आशीष बापजी

दो-दो हाथ चार बणैला

सगै-सगै नैं चाव बापजी।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली लोकचेतना री राजस्थानी तिमाही ,
  • सिरजक : कृष्णा आचार्य ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य-संस्कृति पीठ