चमक चांदणी रातड़ली
मरवण की मीठी बातड़ली
मोह्यो मनड़ो सूतो मोड़ो
लीना लावा लूट रै
हाळीड़ा अब तो ऊठ रै॥
पौ फाटी तड़को होग्यो तू सूतो खूंटी तांण रै
अग्गूणी को पीळो बादळ उगियो सूरज भान रै
पेड़ां पर चिड़ियां चूंचावै पंछी भर्या उडान रै
अल्ला-अल्ला टेरै मुल्ला पण्डित पढ़ै पुराण रै
मन्दिर में झालरड़ी बाजी
हाटां पर आ बैठ्या साहजी
गाय बाछड़ा राभण लाग्या
बोलै बकरी ऊंट रै
हाळीड़ा अब तो ऊठ रै॥
बहू बडोड़ी चाकी पीसै सासू दही धमोड़ै रै
कान्ह गुवाळ्या बैठ्या बाटी बाजरिया की फोड़ै रै
गोबर पाणी करबा स्याणी नुंई बींदणी दौड़ै रै
हाळी ले हळ जूड़ा नारा खेतां सामा मोडै रै
सुण धण का मीठा बैठां नैं
पिव खोल उणीन्दा नैणां नैं
न्हावो धोवो करो कलेवो
खेतां फेरो पूठ रै
हाळीड़ा अब तो ऊठ रै॥
जगन जेठजी परसो देवर करी जोतणी खेतां में
पीव आळसी-जीव हुया थै धण का थोथा हेतां में
वांको धेलो रळै धूळ में जांको खेत पछेतां में
बीज बखत पर बोयां निपजै हीरा बाळू रेतां में
औरां का खेत निनाण खड्या
थै कुम्भकरण की नींद पड़या
जागो भागो करो जोतणी
खेतां चार्यूं कूंट रै
हाळीड़ा अब तो ऊठ रै॥
ध्यान राख धन्धा में हरदम खेतां करो कमाई जी
दूध दही घी गुड़ सूं थांकी चोखी करूं चराई जी
बात-बात में झगड़ पड़ै मनैं मत ना जाण पराई जी
मिसरी सूं भी मोठो हँसकर बोल नणद का भाई जी
म्हारै हिय प्रेम घटा उमड़ी
मनुहार सिराणै करूं खड़ी
पिव प्रीत अमर अनमोल जड़ी
तू पीळै अमृत घूंट रै
हाळीड़ा अब तो ऊठ रै॥