जागतड़ी मूँ सायब घट जोऊँ, घट में घूँमर घालूँ।

पूरी करू पिछाँण पीव री, चट सासरिये चालूँ।

जिया जूँण रा आँटा ज़बरा, बळ बादीलो भाळूँ।

कीकर कोड करूँ काया रो, नित नारायण न्हाळूँ।

पग पग प्रीत करूँ प्रीतम सूँ, गळबहियाँ झट घालूँ।

ओढ़ूँ मूँ तो नुवीँ ओढ़णी, श्याम सुरंगी शालू।

मोहे म्हाने सूरत मोहनी, प्रीत परभूँ री पाळूँ।

हिवड़ै हांसज हरि नाम री, दुख'रा दिनड़ा टाळूँ।

रटती रेस्यूँ राम रम्मयो, बिरथा बचनाँ बाळूँ।

रासरसाँगण रमती सुरताँ, झट सायब पग झाळूँ।

'भावुक' घणी बावळी बणनै, राम गूदड़ी राळूँ।

छम छम नाच'र तज चौरासी, चट सासरिये चालूँ।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : भवानीसिंह राठौड़ 'भावुक’ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै