महा मौड़ मुरधर तणां खळां दळ मौड़ता,
दौड़ पतिसाह सूं करै दावा।
रौड़ रमतां थकां चौड़ रिम्म चूरतां,
ठौड़ ही ठौड़ राठौड़ ठावा॥
छात ढळतैं जसू हुई नकां छिळी,
सांक तजि साह सूं करै साका।
दाव पाका किया सुजस डाका दिया,
जोध बांका करै नाम जाका॥2॥
आगला भूप श्री अजीतसिंह आगला,
डागला दौड़ ज्यूं दिली कति दूर।
भाग लै भुजां बळ खळां करि खाग ले,
सागलैं कीध जस सुरहर सूर॥3॥
खीजिया यवन ल्यै जीजिया खूटिवै,
खेचळां बीजियां रैत खाखी।
प्राण जोधाण रै पाजिया पीजिया,
रेख दुर्गदास राठौड़ राखी॥4॥