धान ऊग्यो धरती पै हिवड़ै हांसी कळी
काळा-काळा बादळ में गोरी-गोरी बीजळी
कण-कण को रूप बढ्यो, हेताळू भाव बढ्यो
चोमेरूं चाव चढ्यो रे
सतरंग्यो धनक चढ्यो, इंदर जग जीत चढ्यो
कंठां सूं गीत कढ्यो रे
हरियाळी घूंघट में मारी सरम की
धरती आंखड़ियां मींचली
काळा-काळा बादळ में गोरी-गोरी बीजळी
सेळी-सी बाळ बागी, आंगण उमंग जागी
कांठळ छै रंगराती रे
पी-पी की धुन लागी, जादू-सो ढळकाती
काळजियै कुण आगी रे
ढम ढम ढम ढमक ढमक ढोलकड़ी बाजी
पायलड़ी छम-छम की चीतली
काळा-काळा बादळ में गोरी-गोरी बीजळी
खेतां की मेर हंसी, बरखा उगेर हंसी
गोरी मुख फेर हंसी रे
पुरवाई प्राण-भरी माटी वरदान-भरी
महनत का मान भरी रे
म्हांनैं पसीनां का बीजा दिया अर
मोत्यां की खेती खींचली
काळा-काळा बादळ में गोरी-गोरी बीजळी