देखो ये सहेल्यो सियावर,

बनडा री जॉन चढै छै॥

पूजत गणपति कुल देवन कूं,

पण्डित वेद पदै छै।

दसरथ द्वार बाज गज ठाढ़े,

जरकस जींद मदै छै॥

जानी अंग पौसाक सजत है,

सोबण साज है।

मेवादिक पकवान मिठाई,

भरि भरि सकट कते है॥

दुलहा री जोड़ गयंद असवारी,

जी'पै चंवरां री जोड़ उडे हैं।

न्यौछावर कीने मणि माणिक,

बीच बजार खिंडे है॥

बाज निसान पयान किये हैं,

देखत हरख बढै है।

लचकत धरणि मचक दल लागत,

शेष के सीस गडै है॥

हय दल गज दल रथ दल पय दल,

मनों उदधि उपड़े है।

कहत ''समान'' राम दुलहा का,

विधि विधि लाड लडै है॥

स्रोत
  • पोथी : लोक में प्रचलित ,
  • सिरजक : समान बाई