विनय करी रायुल कहे चन्दा वीनतड़ी अब धारो रे।
उज्जळगिरि जई वीनवो, चन्दा जिहा छे प्राण आधार रे॥
गगने गमन ताहरुं रुवड़ु, चंदा अमीय वरसे अनन्त रे।
पर उपगारी तू भलो, चंदा वळि वळि वीनवु संत रे।
तोरण आवी पाछा चल्या, चंदा कवण कारण मुझ नाथ रे।
अम्ह तणो जीवन नेम जी, चंदा खिण खिण जोऊं छूं पथ रे॥
विरह तणा दुख दोहिला, चंदा ते किम में सहे वाप रे।
जळ बिना जेम माछळी, चंदा ते दुख में न कहे वाप रे॥
में जाण्युं पीउ आवस्ये, चंदा करस्ये हाल विलास रे।
सप्त भूमि ने उरदे चंदा भोगवस्यु सुख राशी रे॥
सुंदर मंदिर जाळीया चंदा झळ के छे रत्ननी जाळि रे।
रत्न खंचित रूडी सेजड़ी, चंदा मगमगे धूप रसाल रे॥
छत्र सुखासन पालखी चदां गज रथ तुरंग अपार रे।
वस्त्र विभूसण नित नवा चंदा अंग विलेपन सार रे॥
षट रस भोजन नव नवा, चदां सूखड़ी नो नहीं पार रे।
राज रिधी सहू परहरी चंदा जई चढ्यो गिरि मंझारि रे॥
भूसण भार करे घणू, चंदा पग में नेउर झमकार रे।
कटि तटि रसनानड़े धनि चंदा न सहे मोती नो हार रे॥
झलकति झालि हूं झब हूं चंदा नाह बिन किम रहीये रे।
खीटलीखति करे मुझने चंदा नागला नाम सम कहीये रे॥
टिली मोरु नल वट दहे चदां नाक फूली नडे़ नाकि रे।
फोकट फरर के गोफणो, चंदा चाट्लस्युं कीजे चाक रे॥
सेस फूल सीसे नविधरुं, चंदा लटकती लन न सोहोव रे।
छम छम करता घूघरा चंदा वीछीया विछि सम भांवरे॥