बिरहण व्याकुल सूनी सेजां
जोबन जंग मचावै बेजां
परण्यो छोड़ गयो परदेसां
कजराळा नयन का हीरा
अब तो आजा रै नणद का बीरा॥
अंग हुयो बदरंग रात दिन झुळसै बिरह अगन में
फूल पांखुड्यां चुभगी म्हारै बणकर सूळ बदन में
फेरूं पड़ी-पड़ी पसवाड़ा
रात्यूं भींचू दांत जबाड़ा
सूख्या गाल हुया सिंघाड़ा
कोन्या मावै पलक में नीरा
अब तो आजा रै नणद का बीरा॥1
खेतां खड़ी सुहागण सरसूं पीळा फूल खिलावै
रितु बसन्त मिल कंथ-कामणी फागुण फाग रचावै
बांका छैल बजावै ताळी
घूमर नाच करै नखराळी
घर-घर गावै गीत धमाळी
ढ़ोलक बाजै मृदंग मजीरा
अब तो आजा रै नणद का बीरा॥
हींजर-हींजर काया पींजर हुयो इक्ट्ठो सारो
होठां हरदम नाम तिहारो हाथां में इकतारो
म्हारी भर-भर आवै छाती
जियां तेल जळै बिन बाती
आंख्या रो-रो पडगी राती
घायल घूमै दीवानी मीरां
अब तो आजा रै नणद का बीरा॥
दाख पक्यां कागा कै कण्ठां रोग करै हैरानी
माया का चक्कर में म्हारी रळगी रेत जवानी
घर-घर बातां करै लुगाई
बूढ़ी हुई काल की जाई
ज्यांकै पांव न फटी बिवाई
सो कांई जाणै रै पराई पीरा
अब तो आजा रै नणद का बीरा॥
सावण कै मतवाळै म्हनैं लहरावै हरियाळी
पीहू-पीहू करै पपीहो कूकै कोयल काळी
बहियां बालम कै गळ डारी
साथण झूला झूलै सारी
म्हारै अगं में बह्वै कटारी
हिवड़ो होगो रै लीरक लीरा
अब तो आजा रै नणद का बीरा॥
साजण सागै हरखी-हरखी खामण खेतां जावै
अलगोजां की घुन पर धोरां बैठ्या तेजो गावै
देखूं औरां की अठखेळी
होगी सोच-फिकर में भेळी
आजा छैल भंवर मनमेळी
करस्यां खेतां में रंगरेळी
निरभै तोड़ालां काकडी मतीरा
अब तो आजा रै नणद का बीरा॥